
नई दिल्ली. देश में कोरोना के कारण रेल एवं हवाई यात्रा प्रतिबंधित था. लगभग दो साल तक यह सेवा सीमित रही. हालात सुधरने के बाद इन सेवाओं में धीरे-धीरे बढ़ोतरी की गई. पिछले एक महीने से कोरोना की रफ्तार थमी हुई है. (हालांकि कुछ राज्यों में यह फिर से बढ़ने लगी है.) इसके बाद से सरकार ने रेल और हवाई यात्रा को शत प्रतिशत शुरू कर दिया. अब हालात ये हो गए हैं कि हर दिन हवाई यात्रियों की संख्या में भारी इजाफा होने लगी है. पिछले कुछ दिनों से एयरपोर्ट पर भारी भीड़ के कारण लंबी लंबी कतारें देखी जा रही है. ऐसे में संसदीय समिति ने शीघ्र और सहज सुरक्षा जांच के लिए बायोमेट्रिक स्क्रीनिंग का सुझाव दिया है.
गैर-गोपनीय स्क्रीनिंग की व्यवस्ता का सुझाव
पिछले दस दिनों के अंदर हर दिन 3.7 से 3.9 लाख हवाई यात्री हवाई सफर कर रहे हैं. यह एक अच्छा संकेत हैं लेकिन हवाई अड्डों पर भारी भीड़ के कारण यात्रियों की लंबी कतारें लग जाती है जो कोरोना के मद्देनजर जोखिम भरा है. परिवहन, पर्यनट और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि सभी एयरपोर्ट पर बायोमीट्रिक व्यवस्था की जाए जिससे यात्रियों को सुरक्षा जांच में देरी न हो और एयरपोर्ट पर लंबी कतारें न लगे. इसके साथ ही जांच सहज, शीघ्र और लोगों की गोपनीयता भंग किए बिना हो. वर्तमान में जो व्यवस्था है उसके तहत डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (DFMDs), (hand held metal detectors –HHMDs) और फिजिकल व्यवस्था है. इसमें समय भी ज्यादा लगता है और कभी-कभी व्यक्तिगत निजता भी भंग होती है. इन सबसे बचने के लिए संसदीय समिति ने गैर-गोपनीय स्क्रीनिंग की व्यवस्ता का सुझाव दिया है.
आधार से रेटिनल स्क्रीनिंग
एएनआई की खबर के मुताबिक संसदीय समिति ने कोविड जैसे जोखिमों से बचने और लंबी भीड़ को यथाशीघ्र सुरक्षा जांच का क्लीयरेंस देने के लिए फुल बॉडी स्क्रीनिंग का भी सुझाव दिया है. इससे एयरपोर्ट पर बढ़ रही भीड़ को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. समिति ने सुझाव दिया है कि एयरपोर्ट पर न केवल काउंटरों की संख्या बढ़ाई जाए बल्कि सुरक्षा जांच के लिए ऐसी कर्मी को रखा जाए तो कुशल एवं दक्ष हो. समिति ने कहा कि बायोमेट्रिक फेसेलिटी के साथ ही रेटिनल स्क्रीनिंग का भी प्रावधान हो जिससे पैसेंजर की पहचान जल्दी से हो जाए और ज्यादा भीड़ न लगे. इसमें फेसियल रिकगनिशन, फिंगर प्रिंट और रेटिनल स्कैन के वैकल्पिक मार्ग की पहचान की जा रही है. इस तरह की तकनीकी से दुनिया के कई देशों में एयरपोर्ट पर मदद ली जा रही है. समिति ने कहा है कि इस तकनीकी के माध्यम से अधिकांश घरेलू जनता की पहचान आधार से हो जाएगी. समिति ने कहा है कि बायोमेट्रिक सिक्योरिटी व्यक्तिगत जीवन में ताक-झांक नहीं करता और वर्तमान व्यवस्था से बहुत शीघ्रता से काम निपटाता है.
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