गूगल एक स्लाइड शो के रूप में स्पेशल डूडल बनाकर Anne Frank को श्रद्धांजलि दी है। बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब नीदरलैंड पर नाजियों ने कब्जा कर लिया था और एक छोटी बच्ची एनी फ्रैंक और उनके परिवार को छिपकर रहना पड़ता था। एनी के पिता ने अपनी बेटी को एक डायरी गिफ्ट की थी, जिसमें एनी ने नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए अत्याचारों का आंखों-देखा हाल लिखा। आज इसी डायरी की 75वीं वर्षगांठ पर गूगल ने स्पेशल डूडल बनाया है। जिसमें एनी की लाइफ और डायरी को स्लाइडशो के जरिए दिखाया गया है।
चलिए जानते हैं एनी फ्रैंक की डायरी के कुछ अंश…
– दरअसल, गूगल ने “फ्रैंक की द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल के पब्लिकेशन के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाते हुए, आज के डूडल में उनकी डायरी के वास्तविक अंश हैं, जो बताता है कि उन्होंने और परिवार ने दो साल से अधिक समय कैसे छुप के बिताया। यह एनिमेशन की एक श्रृंखला के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
– एनी फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में हुआ था, वह एक यहूदी थी। 12 जून, 1942 को एनी को 13वें जन्मदिन के अवसर पर उनके पिता ओटो फ्रैंक ने लाल और सफेद रंग की चैक वाली एक डायरी गिफ्ट की थी। इस डायरी में 12 जून 1942 से 1 अगस्त 1944 के बीच उनकी जिंदगी में जो घटा उसका ब्यौरा लिखा है।
– एनी फ्रैंक ने बताया कि हिंसा से बचने के लिए उनका परिवार जल्द ही एम्स्टर्डम, नीदरलैंड चला गया। लाखों यहूदियों को अपने घरों से भागने या छिपने के लिए मजबूर होने के बाद, एनी का परिवार 1942 में उत्पीड़न से बचने के लिए अपने पिता की ऑफिस की इमारत में छिप गया।
– ऑफिस की इमारत में एक सीक्रेट जगह पर आने के बाद एनी ने डायरी लिखनी शुरू की और उन्होंने किट्टी नाम की अपनी डायरी में हर घटना का जिक्र किया। गूगल द्वारा प्रदर्शित अंशों में से एक में, एनी कहती है, “मैं एक चिड़िया की तरह महसूस करती हूं जिसके पंख फट गए हैं और जो अपने अंधेरे पिंजरे की सलाखों के खिलाफ खुद को चोट पहुंचाती है।”
– 4 अगस्त, 1944 को, फ्रैंक परिवार को नाज़ी सीक्रेट सर्विस द्वारा पकड़ा गया, गिरफ्तार किया गया, और एक डिटेंशन सेंटर में ले जाया गया जहां उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने लड़ाई के दौरान आने वाली गोलियों और तोपों की खौफनाक आवाजों का मंजर पर डायरी में बयां किया है।
– एनी एक लेखिका बनना चाहती थीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनके पिता ओटो फ्रैंक ने एनी की डायरी को छपवाकर उनकी इच्छा पूरी की थी। एनी की यह डायरी इतिहास का हिस्सा बन गई। 1947 में ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’ नाम से यह डायरी पहली बार छपी और अब तक 70 से अधिक भाषाओं में यह किताब छप चुकी है।
– डायरी में लास्ट पेज 1 अगस्त 1944 को लिखा है, जिसमें उस सीक्रेट जगह में रहने वाले लोगों की गिरफ्तारी का जिक्र है। बता दें कि महज 15 साल की उम्र में किसी गंभीर बीमारी के कारण कैंप में ही एनी का निधन हो गया था।