
बेंगलुरूः कावेरी नदी (Cauvery river) पर प्रस्तावित मेकेदातु डैम (Mekedatu Dam) को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु (Karnataka Vs Tamil nadu) में विवाद गहराता जा रहा है. तीन दिन पहले तमिलनाडु विधानसभा (Tamilnadu Assembly) में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके मेकेदातु बांध के निर्माण के लिए कर्नाटक सरकार की आलोचना की गई थी. तमिलनाडु के इस कदम को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने अवैध करार दिया था और कहा था कि इससे साफ है कि तमिलनाडु संघीय व्यवस्था में भरोसा नहीं करता. अब कर्नाटक ने गुरुवार को तमिलनाडु के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर दिया है.
क्या है मेकेदातु प्रोजेक्ट?
कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर दशकों से झगड़ा चल रहा है. इसी नदी पर मेकेदातु इलाके में अब कर्नाटक सरकार एक बांध बनाना चाहती है. यह बांध रामनगर जिले के कनकपुरा इलाके में बनाया जाना है. इस बांध में 48 टीएमसी पानी स्टोर करने की क्षमता होगी. इससे कर्नाटक को न सिर्फ पीने का पानी मिलेगा बल्कि बिजली भी मिलेगी. करीब 9 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर बेंगलुरू और उसके आसपास के शहरों में पीने के पानी की समस्या दूर हो जाएगी. साथ ही 400 मेगावॉट बिजली का उत्पादन भी होगा. कर्नाटक सरकार ने इस साल के बजट में इस बांध के निर्माण के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है.
तमिलनाडु की क्या आपत्ति है?
मेकेदातु बांध पर तमिलनाडु को सख्त ऐतराज है. उसका कहना है कि यह बांध कावेरी नदी पर बनाया जाना है, जिसे लेकर दोनों राज्यों के बीच बरसों की लड़ाई के बाद भी मामला सुलझ नहीं पाया है. कावेरी नदी का पानी कर्नाटक से तमिलनाडु में बहता है. तमिलनाडु का कहना है कि मेकेदातु कर्नाटक का वह आखिरी पॉइंट है, जहां से कावेरी का पानी निर्बाध रूप से उसके राज्य में आता है. कर्नाटक इस जगह पर बांध बनाकर तमिलनाडु को पानी की सप्लाई रोकना चाहता है. इस बांध के बन जाने से कावेरी नदी के पानी की सप्लाई में बाधा आएगी. तब कर्नाटक बचा-खुचा पानी ही तमिलनाडु के लिए छोड़ेगा, जिससे उसे भारी परेशानी हो जाएगी.
केंद्र सरकार भी पसोपेश में
कर्नाटक की तरफ से मेकेदातु बांध की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा चुकी है. फिलहाल ये कावेरी जल विवाद प्राधिकरण के पास है. इस प्राधिकरण का गठन 2018 में दोनों राज्यों के बीच कावेरी के जल बंटवारे के लिए किया गया था. मेकेदातु प्रोजेक्ट पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी का भी इंतजार है. कर्नाटक और केंद्र में बीजेपी की सरकार है, लेकिन मेकेदातु प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र सरकार पसोपेश में है. वजह ये कि तमिलनाडु बीजेपी इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है. कर्नाटक सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही इस परियोजना को मंजूरी मिल जाएगी और वह 2023 तक इसे लॉन्च कर देगी.
तमिलनाडु बनाम कर्नाटक
मेकेदातु प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे तमिलनाडु ने सोमवार को विधानसभा में प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार से अपील की थी कि वह इस प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी न दे. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ऐलान कर चुके हैं कि वह मेकेदातु बांध का हर मुमकिन विरोध करेंगे. विधानसभा में इस प्रस्ताव को डीएमके, कांग्रेस, VCK, MDMK, वाम दलों के अलावा विपक्षी AIADMK, PMK के साथ साथ बीजेपी का भी सपोर्ट मिला था. अब कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने तमिलनाडु के इस प्रस्ताव के विरोध में प्रस्ताव पास करके केंद्र की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
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